सनातन (हिन्दू) धर्म कब शुरू हुआ | सनातन (हिन्दू) धर्म के संस्थापक | When did Sanatan (Hindu) Dharma (religion) start in Hindi | Founder of Sanatan (Hindu) Dharma in Hindi

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सनातन (हिन्दू) धर्म कब शुरू हुआ | सनातन (हिन्दू) धर्म के संस्थापक | When did Sanatan (Hindu) Dharma (religion) start in Hindi | Founder of Sanatan (Hindu) Dharma in Hindi” के बारे में जानने के लिए आगे बढ़ने से पहले, आइए कुछ बुनियादी जानकारी जानते हैं।

सनातन धर्म का अर्थ – सनातन = जो कभीभी अनाथ नही होसकहेगा. जो आदि काल से है, उससे सनातन कहते हैं।

धर्म का अर्थ इस, जो भगवान विष्णु जी ने कहा है, जो नियम उनोने बनाया है, उससे धर्म कहते हैं।

भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्णा ने जोभी नियम बनाया है, उस नियम को हम सभ मिलकर पालन करना चाहिहै।

चलिए, अब हम “सनातन धर्म कब से शुरू हुआ है?” इसके बारे मे सीकते हैं।

श्री हरी के अनंत अवतारों में,

श्री बुद्ध के अवतार हो कर ३,००० वर्ष हुए है |

श्री कृष्ण के अवतार हो कर ५,००० वर्ष से अधिक समय हुआ है |

श्री राम के अवतार हो कर ८,६९,००० वर्ष हुए है |

इसी तरहश्री हरी के अन्य अवतार जैसेमत्स्यकूर्मावाराहनरसिम्हा आदि अवतार हो कर ३८,९३,००० वर्ष के आस पास हुए है |

एक कलि युग,३२,००० वर्षों का होता है |

एक द्वापर युग,३२,००० * २ = ८,६४,००० वर्षों का होता है |

एक त्रेतायुग,३२,००० * ३ = १२,९६,००० वर्षों का होता है |

एक सत्य / कृत युग,३२,००० * ४ = १७,२८,००० वर्षों का होता है|

ये सभी मिलाकरएक महायुग होता हैअर्थात ४३,२०,००० वर्षों का होता है |

एक मन्वंतर सत्तर से थोड़ा अधिक महायुगों का होता है।

ऐसे चौदह मन्वंतर एक कल्प होता है|

ब्रम्हा के लिए हमारा एक कल्पमात्र एक दिन होता है।

येएक चक्कर होता है और ये चक्कर हमेशा घूमता रहता है हर एक ब्रम्हाकल्प के बादब्रह्मांड नष्ट हो जाता है |

इस के बाद फिर से एक नया ब्रह्मांड का निर्माण होता है |

ऐसे अनंत अनंत कल्प आ चुके हैऔर ऐसे अनंत अनंत ब्रम्हा आ चुके है |

इसी तरह अनंत अनंत सरस्वती देवीरुद्र देवपारवती देवीइंद्र देवसूर्य देव आदि आ चुके है |

सिर्फ श्री हरी और उनके पत्नी श्री महालक्ष्मी देवी के जन्म के बारे में किसी को भी पता नहीं है |

परंतुश्री महालक्ष्मी देवी “अम्भृणी सूक्त” में कहती है किश्री हरी ही स्वयं परब्रम्ह है और वे श्री हरी के दासी है 

हमारे धर्म का कोई प्रारम्भ एवं अंत नहीं है |

क्योंकिकिसी को भीश्री हरी के जन्म के बारे में पता नहीं हैक्यों श्री हरी अजन्मी है (अर्थातश्री हरी के कोई माता पिता नहीं है |), इस का अर्थ यह है कि

हमारा धर्म प्रारम्भ हो कर कितने वर्ष हुए हैइस के बारे में किसी को भी पता नहीं हैसिर्फ श्री हरी को ही पता है और किसी को भी पता नहीं है |

श्री हरी ने पहले श्री महालक्ष्मी देवी को वेदों की दीक्षा दी थी इस के बादश्री हरी ने श्री ब्रम्ह देव को दीक्षा दी थी |

इस के परियांतश्री ब्रम्ह देव नेउन के सभी मानस पुत्रों को दीक्षा दी थी 

श्री ब्रम्ह देव के अनेक मानस पुत्रगण हैउन में से भृगुपुलहाक्रतुअंगीरामारीचिदक्षअत्रिवशिष्ठसनत कुमारगणरुद्र देव आदि है |

आप ही सोचियेहमारा सनातन धर्म का श्रेष्ठता इतना बड़ा है किइस के बारे में हमारे जैसे तुच्छ मानव सोच भी नहीं सकते है |

रंतुहमें यह भी संदेह आ सकता है किअब के समय में इतने सारे रिलिजन (religion) क्यों है और कैसे पैदा हुए?

हमें यह याद रखना चाहिए किये सनातन धर्म के वासियों को ये कोई नई या बड़ी बात नहीं है |

पहले भीहिरण्यकशिपुपौण्डरिककम्सरावणशिशुपालदन्तवक्रतारकासुरभस्मासुरवेणाआदि आदि आदि जैसे राक्षस / लोग आ चुके है और हम सभी को ये भी पता है किवे सब अब जा चुके है |

उसी प्रकार के राक्षस / लोग अभी भी इस पृथ्वी पर उपस्तिथ हैऔर आगे भी ऐसे राक्षस / लोग आएंगे |

परंतुहमें घबराने की आवश्यकता नहीं हैक्योंकि इन जैसे रक्कस स्वभाव लोगों का जन्म जैसे होता हैवैसे ही अंत भी होता है |

उसी तरहआज जो ये रिलिजन (religion) हैउसे भी नष्ट होना पड़ेगा और हो कर ही रहेगा एवं फिर से आगे भी नया नया रिलिजन (religion) आरम्भ होंगे |

परंतुसनातन धर्म को कोई भीकुछ भी नहीं बिगाड़ सकता थाआज भी कोई भी कुछ भी नहीं कर सकता है और आगे भी कोई भी कुछ भी नहीं कर पाएगा |

इस का उदाहरण आप आज भी देख सकते है पृथ्वी पर अनेक ऐसे देश हैजहां पहले अलग रिलिजन (religion) थेपरंतु आज एक अलग रिलिजन (religion) है |

कल एक आस्था थाआज एक आस्था है और फिर से कल भी एक और आस्था होगा।

किंतुहमारा ही एक मात्र ऐसा देश है जहां कल भी एक ही सनातन धर्म थाआज भी एक ही सनातन धर्म है और कल भी एक ही सनातन धर्म होगा। इस का कोई संदेह नहीं है |

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भारत माता की जय |

हर हर महादेव।

श्री कृष्णाय नमः

श्री कृष्णार्पणमस्तु

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