श्री वेंकटेश्वर सुप्रभातम (गीत / बोल / लिरिक्स) (हिन्दी / संस्कृत) | Sri Venkateshwara Suprabhatam (lyrics) in Hindi (Sanskrit)

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इससे पहले कि हम श्री वेंकटेश्वर सुप्रभातम (गीत / लिरिक्स) का अर्थ समझें, आइए हम वेंकटेश और श्रीनिवास के नाम का अर्थ समझें।

वेंकटेश = वें + कट + ईश – यहाँ, वें = हमारा अहंकार (अभिमान), कट = काटनेवाला, ईश = ईश्वर (भगवान)। भगवान वेंकटेश, का अर्थ है कि वह कोई है जो हमारे अभिमान और अहंकार को काट देता है।

श्रीनिवास = श्री + नि + वास – यहाँ, श्री = महा लक्ष्मी देवी, नि = रहना, वास = वास करनेवाला। भगवान श्रीनिवास का अर्थ है, वह कोई है जो देवी महा लक्ष्मी देवी में निवास करता है।

श्री वेंकटेश्वर सुप्रभातम गीत (लिरिक्स) नीचे दिया गया हैं:

कौसल्या सुप्रजा राम पूर्वासन्ध्या प्रवर्तते | उत्तिष्ठ नरशार्दूल कर्तव्यं दैवमाह्निकम् ‖ 1 ‖

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज | उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यं मङ्गलं कुरु ‖ 2 ‖

मातस्समस्त जगतां मधुकैटभारेः वक्षोविहारिणि मनोहर दिव्यमूर्ते | श्रीस्वामिनि श्रितजनप्रिय दानशीले श्री वेङ्कटेश दयिते तव सुप्रभातम् ‖ 3 ‖

तव सुप्रभातमरविन्द लोचने भवतु प्रसन्नमुख चन्द्रमण्डले | विधि शङ्करेन्द्र वनिताभिरर्चिते वृश शैलनाथ दयिते दयानिधे ‖ 4 ‖

अत्र्यादि सप्त ऋषयस्समुपास्य सन्ध्यां आकाश सिन्धु कमलानि मनोहराणि | आदाय पादयुग मर्चयितुं प्रपन्नाः शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 5 ‖

पञ्चाननाब्ज भव षण्मुख वासवाद्याः त्रैविक्रमादि चरितं विबुधाः स्तुवन्ति | भाषापतिः पठति वासर शुद्धि मारात् शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 6 ‖

ईशत्-प्रफुल्ल सरसीरुह नारिकेल पूगद्रुमादि सुमनोहर पालिकानाम् | आवाति मन्दमनिलः सहदिव्य गन्धैः शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 7 ‖

उन्मील्यनेत्र युगमुत्तम पञ्जरस्थाः पात्रावसिष्ट कदली फल पायसानि | भुक्त्वाः सलील मथकेलि शुकाः पठन्ति शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 8 ‖

तन्त्री प्रकर्ष मधुर स्वनया विपञ्च्या गायत्यनन्त चरितं तव नारदोऽपि | भाषा समग्र मसत्-कृतचारु रम्यं शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 9 ‖

भृङ्गावली च मकरन्द रसानु विद्ध झुङ्कारगीत निनदैः सहसेवनाय | निर्यात्युपान्त सरसी कमलोदरेभ्यः शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 10 ‖

योषागणेन वरदध्नि विमथ्यमाने घ्षालयेषु दधिमन्थन तीव्रघ्षाः | रोषात्कलिं विदधते ककुभश्च कुम्भाः शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 11 ‖

पद्मेशमित्र शतपत्र गतालिवर्गाः हर्तुं श्रियं कुवलयस्य निजाङ्गलक्ष्म्याः | भेरी निनादमिव भिभ्रति तीव्रनादम् शेषाद्रि शेखर विभो तव सुप्रभातम् ‖ 12 ‖

श्रीमन्नभीष्ट वरदाखिल लोक बन्धो श्री श्रीनिवास जगदेक दयैक सिन्धो | श्री देवता गृह भुजान्तर दिव्यमूर्ते श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 13 ‖

श्री स्वामि पुष्करिणिकाप्लव निर्मलाङ्गाः श्रेयार्थिनो हरविरिञ्चि सनन्दनाद्याः | द्वारे वसन्ति वरनेत्र हतोत्त माङ्गाः श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 14 ‖

श्री शेषशैल गरुडाचल वेङ्कटाद्रि नारायणाद्रि वृषभाद्रि वृषाद्रि मुख्याम् | आख्यां त्वदीय वसते रनिशं वदन्ति श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 15 ‖

सेवापराः शिव सुरेश कृशानुधर्म रक्षोम्बुनाथ पवमान धनाधि नाथाः | बद्धाञ्जलि प्रविलसन्निज शीर्षदेशाः श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 16 ‖

धाटीषु ते विहगराज मृगाधिराज नागाधिराज गजराज हयाधिराजाः | स्वस्वाधिकार महिमाधिक मर्थयन्ते श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 17 ‖

सूर्येन्दु भौम बुधवाक्पति काव्यशौरि स्वर्भानुकेतु दिविशत्-परिशत्-प्रधानाः | त्वद्दासदास चरमावधि दासदासाः श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 18 ‖

तत्-पादधूलि भरित स्फुरितोत्तमाङ्गाः स्वर्गापवर्ग निरपेक्ष निजान्तरङ्गाः | कल्पागमा कलनयाऽऽकुलतां लभन्ते श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 19 ‖

त्वद्गोपुराग्र शिखराणि निरीक्षमाणाः स्वर्गापवर्ग पदवीं परमां श्रयन्तः | मर्त्या मनुष्य भुवने मतिमाश्रयन्ते श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 20 ‖

श्री भूमिनायक दयादि गुणामृताब्दे देवादिदेव जगदेक शरण्यमूर्ते | श्रीमन्ननन्त गरुडादिभि रर्चिताङ्घे श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 21 ‖

श्री पद्मनाभ पुरुषोत्तम वासुदेव वैकुण्ठ माधव जनार्धन चक्रपाणे | श्री वत्स चिह्न शरणागत पारिजात श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 22 ‖

कन्दर्प दर्प हर सुन्दर दिव्य मूर्ते कान्ता कुचाम्बुरुह कुट्मल लोलदृष्टे | कल्याण निर्मल गुणाकर दिव्यकीर्ते श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 23 ‖

मीनाकृते कमठकोल नृसिंह वर्णिन् स्वामिन् परश्वथ तपोधन रामचन्द्र | शेषांशराम यदुनन्दन कल्किरूप श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 24 ‖

एलालवङ्ग घ्नसार सुगन्धि तीर्थं दिव्यं वियत्सरितु हेमघ्टेषु पूर्णं | धृत्वाद्य वैदिक शिखामणयः प्रहृष्टाः तिष्ठन्ति वेङ्कटपते तव सुप्रभातम् ‖ 25 ‖

भास्वानुदेति विकचानि सरोरुहाणि सम्पूरयन्ति निनदैः ककुभो विहङ्गाः | श्रीवैष्णवाः सतत मर्थित मङ्गलास्ते धामाश्रयन्ति तव वेङ्कट सुप्रभातम् ‖ 26 ‖

ब्रह्मादया स्सुरवरा स्समहर्षयस्ते सन्तस्सनन्दन मुखास्त्वथ योगिवर्याः | धामान्तिके तव हि मङ्गल वस्तु हस्ताः श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 27 ‖

लक्श्मीनिवास निरवद्य गुणैक सिन्धो संसारसागर समुत्तरणैक सेतो | वेदान्त वेद्य निजवैभव भक्त भोग्य श्री वेङ्कटाचलपते तव सुप्रभातम् ‖ 28 ‖

इत्थं वृषाचलपतेरिह सुप्रभातं ये मानवाः प्रतिदिनं पठितुं प्रवृत्ताः | तेषां प्रभात समये स्मृतिरङ्गभाजां प्रज्ञां परार्थ सुलभां परमां प्रसूते ‖ 29 ‖

|| इति श्री वेङ्कटेश्वर सुप्रभातम् सम्पूर्णं ||

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